Chamkila Review:

मल्टिप्लेक्स में लोगों की भीड़ लग गई, ऐसा लगता था कि जैसे पैसे देकर ऑडियंस बुलाई गई हो। पंजाब के अखाड़े से लंदन, और कनाडा के कॉन्सर्ट तक अपने गानों से धूम मचा देने वाले अमर सिंह चमकीला को कम ही लोग जानते होंगे। इसका एक बड़ा कारण ये है कि 27 साल की उम्र में जालंधर के मेहसामपुर में चमकीला और उनकी पत्नी अमरजोत की गोली मार के हत्या कर दी गई। 9 साल के अपने करियर में चमकीला ने वो शोहरत, कामयाबी और बदनामी हासिल की जो पंजाब के किसी और आर्टिस्ट को कभी नहीं मिली।

कौन था चमकीला?

इम्तियाज अली की चमकीला, जो नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो रही है की कहानी बहुत ही शानदार है। ये एक ऐसे शख्स की कहानी है जो मोजे की फैक्ट्री में काम करता है और दलित मजदूर है। जो बाद में सबसे विवादित और फेमस पंजाबी आर्टिस्ट बनता है जो चमकीला के नाम से जाना जाता है ये नाम भी उसे गलती से मिला। चमकीला के ओपनिंग क्रेडिट में इरशाद कामिल के लिखे बोलों में ही चमकीला के बारे में पूरी कहानी छिपी है। उस दौर में जब पंजाब जल रहा था, इमरजेंसी जारी थी, कर्फ्यू लगा हुआ था, चारों ओर दहशत थी। तब लचर, ठरक से भरे सेक्सी सॉन्ग गाने वाला एक कलाकार, जो जिस वजह से चमका… उसी वजह से टपका… चमकीला वो गंदा बंदा।

क्या है चमकीला की कहानी?

ये कहानी समाज के सबसे निचले तबके से निकले एक ऐसे लड़के की है, जिसने जो देखा… वही गाने लगा। वो चमका, तो दूसरे आर्टिस्ट उसकी कामयाबी से जलने लगे। चमकीला ने जो कुछ भी किया, वो गानों के लिए किया। अमरजोत से झूठ बोलकर दूसरी शादी भी की, तो वो भी सिर्फ गाने के लिए। ताकि अखाड़े में गाने के लिए कोई फीमेल सिंगर तलाशने के लिए उसे बार-बार मशक्कत ना करनी पड़े। उसे धमकियां मिली कि वो गंदे बोल वाले गानों को गाना बंद कर दे। धर्म वालो ने उसे धमकाया, ठगा और फिर जिसने उसे गोली मारी, उसका कभी पता नहीं चला।

‘चमकीला’ की इस कहानी को इम्तियाज और साजिद अली ने जिस तरह से बुना है, उसमें इम्तियाज की ‘रॉकस्टार’ से लेकर ‘तमाशा’ तक की झलक दिखती है। लगता है कि चमकीला इम्तियाज की स्टोरी टेलिंग का एक बेहद शानदार एक्स्टेंशन है। चमकीला की कहानी में सबसे खास है कि इसमें चमकीला को कहीं सही या गलत साबित करने की कोशिश तक नहीं की गई है, बस हालात सिक्के के दोनो पहलू दिखाए जाते रहे हैं।

जहां धर्मगुरु भी उसे धमकाते हैं, सरकार भी… उसके अपने ही लोग उस पर तोहमत लगाते हैं, और फिर उसके मरने के बाद, उसकी तिजोरी और जायदाद पर हक जताने लगते हैं। इन सबके बीच चमकीला, वो गंदा बंदा अपने वो गंदे गाने भी गाता है, जो उसने इसी समाज से सीखे हैं, साथ में अरदास भी गाता है जो सबसे बड़े रिकॉर्ड सेलिंग होते हैं। चमकीला की कहानी, इसका प्रेजेंटेशन इतना सच्चा है कि आप चमकीले की निगाहों से दुनिया देखने लगते हैं।

चमकीला की दूसरी खूबी ये है कि इम्तियाज अली ने चमकीला और अमरजोत के गानों से छेड़छाड़ नहीं की है। उन्हे वैसे ही फिल्म का हिस्सा बना लिया है और आपको इन पंजाबी गानों को सुनते वक्त अहसास होता है कि ये तो बिल्कुल वैसे ही हैं, जो हमारे यहां शादी-ब्याहों और दोस्तों के बीच गाए जाते हैं। इरशाद कामिल और रहमान के साथ मिलकर इम्तियाज ने चमकीला के लिए 6 गाने रचे हैं। बाजा से लेकर विदा करो तक हर गाना, चमकीला की ज़िंदगी में घुलता चला जाता है।

दिलजीत दोसांझ, चमकीला हैं… वो चमकीला बने नहीं है, क्योंकि आप उनके और चमकीला के बीच फर्क तक नहीं कर पाएंगे। दिलजीत ने इस किरदार में खुद को झोंक दिया है। अमरजोत बनी परिणीति ने भी इम्तियाज के डायरेक्शन में अपने करियर की सबसे शानदार परफॉरमेंस दी है। चमकीला के दोस्त चिक्की बने अंजुम बत्रा का काम बेहद शानदार है। आपको बता रहे हैं कि ये मूवी नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो रही। आप इसे मिस न करें क्योंकि ये एक शानदार कहानी है।

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