Maidaan Film Review:

अक्सर ऐसा कहा जाता है कि अगर आप कुछ करने की इच्छा रखते हैं, तो नामुमकिन काम भी मुमकिन हो जाता है। अगर इंसान का मनोबल मजबुत हो तो वह हारता नही है, बल्कि अपने लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ जाता है। ऐसे ही दृढ़ संकल्प की कहानी अजय देवगन की फिल्म ‘मैदान’ में दिखाई गई है। भारत की आजादी के बाद जहां लोग भारत के हार के सपने देख रहे थे, वही कुछ ऐसे भी देश भक्त थे, जो देश को उसकी पहचान और सम्मान दिलाने में लगे थे। इन लोगों में सैयद अब्दुल रहीम का नाम भी आता है।

इन्होंने फुटबॉल के क्षेत्र में विशेष योगदान देकर भारत की पहचान बनाई और इतिहास में अपने नाम को अमर कर लिया। ये सफर अब्दुल साहब के लिए आसान नही था। कई बार लोगों ने उनका मनोबल तोड़ने का प्रयास किया, लेकिन अपने दृढ़ मनोबल के दम पर उन्होंने कभी हार नहीं मानी। विदेश में हारने के बाद भी “Well Played India” का नारा गूंजा था। आइए आपको इस फिल्म के बारे में बताते हैं।

‘मैदान’ है सच्ची कहानी पर आधारित

अजय देवगन की ‘मैदान’ फिल्म आजाद भारत के फुटबॉल कोच सैयद अब्दुल रहीम के जीवन पर बेस्ड है। अब्दुल रहीम ने आजादी के 13 साल बाद ही इतिहास रच दिया था। इस फिल्म की कहानी कलकत्ता से शुरू होती है। जहां स्पोर्ट्स फेडरेशन के लोगों के मन में शहरों को लेकर बातें चल रही थी, वहीं अब्दुल रहीम सोच रहे थे कि भारत के फुटबॉल के क्षेत्र में कैसे आगे बढ़ाएं। फिल्म में दिखाया गया कि, लोग अपने-अपने राज्य को लेकर आपस में भेदभाव कर रहे थे।

इन सबके बाद भी अब्दुल रहीम साहब का सोचना था कि वह फुटबॉल में भारत को आगे कैसे करें। 1952 से 1962 तक के समय को फुटबॉल के लिए स्वर्णिम काल माना जाता है। इस फिल्म में दिखाया गया है कि प्लेयर मैदान में हार-जीत के लिए नहीं बल्कि अपने देश की पहचान के लिए लड़ रहे थे। मूवी की कहानी काफी रोमांचक है। आप इसे परिवार के साथ देख सकते हैं।

अजय देवगन की परफॉर्मेंस

इस फिल्म में अजय देवगन ने सैयद अब्दुल रहीम की भूमिका निभाई है। इन्होंने अपने अभिनय से अब्दुल रहीम के किरदार को जीवंत कर दिया। अजय ने अब्दुल रहीम के जीवन के हर पहलू को अच्छे से परदे पर उकेरा है। एक्टिंग के जरिए देश के लिए किए गए उनके योगदान को बखूबी दिखाया गया है। इस फिल्म में अजय की को-स्टार प्रियामणि हैं, जो अब्दुल रहीम की पत्नी का रोल निभा रही हैं।

डायरेक्शन और सिनेमेटोग्राफी

‘मैदान’ का निर्देशन अमित रवीन्द्रनाथ शर्मा ने किया है। इस फिल्म को बनाना अपने-आप में ही एक चैलेंज है। मूवी में अब्दुल रहीम की फुटबॉल टीम के 10 साल की मेहनत को पर्दे पर लाना काफी चुनौतीपूर्ण काम था। अमित रविन्द्रनाथ शर्मा ने हर एक्टर को एक समान स्क्रीन टाइम दिया और फिल्म को हर एक कड़ी में और अच्छा दिखाने का प्रयास किया है। शुरुआत में आप थोड़े उब सकते हैं, लेकिन रफ्तार पकड़ने के बाद फिल्म की कहानी काफी रोचक हो जाती है। बात करें सिनेमेटोग्राफी और कैमरा हैंडलिंग की तो, वह भी काफी शानदार है। फुटबॉल के मैदान को इतनी सफाई से पर्दे पर दिखाना काफी अच्छा रहा। इस फिल्म को ध्यान से देखने पर आपको ऐसा अनुभव होगा कि आप सच में एशियन गेम देख रहे हैं।

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